बंदी छोड़ पूर्ण परमेश्वर कबीर साहिब ने किसी माता के गर्भ से जन्म नहीं लिया अभी तो बाहर लहरतारा नामक तालाब पर नीरू बनी मां को कमल के फूल पर प्राप्त हुए तथा उन्होंने बालपन में ही इतनी लीलाएं कर दी जो किसी मायावी से भी संभव नहीं
वेदों में प्रमाणित है कि वह परमात्मा सा शरीर चलकर आता है तथा अच्छी आत्माओं को प्राप्त होता है